Sunday, July 5

Some of my recent hindi writing...



रूह की गहराई मे तुम झांक कर मे देखो,
किसी कोने मे क्या दर्द दबा रखा है,
लफ्जों मे क्या बयां करे जालिम,
हमने तो हर ज़ख्म हरा रखा है...






वो पूछते है नाम मुझसे मेरे इश्क का
और पूछते है हमसे इजहारे इश्क भी
हाल क्या बताये अपने दर्देदिल का
दो ओस की वो बूंदे बेहाल कर गयी
चांदनी रात मे चुपके से आकर
हमसे हमारा दिल लूट ले गयी
कर दिया बदनाम हमको हमने लूटा है
वो हमसे हमारी नींद चैन ले गयी
कुछ न बचा वो बस एक नाम रह गया
और मश्क़ मे ओस की वो दो बूँदें रह गयी
और मश्क़ मे ओस की वो दो बूँदें रह गयी...